भारत और अमेरिका दोनों ही विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश है और इस कारण से दोनों के सिस्टम में और इस्क्को चलाने की प्रक्रिया में काफी अधिक समानताएं भी देखने को मिलती है. मगर इस सत्य को झुठलाया नही जा सकता कि आज अमेरिका विश्व की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक सभ्यता है और ऐसे में कई चीजे ऐसी है जो भारत ही नही दुनिया की और भी लोकतांत्रिक सभ्यताओं के लिए सीखने वाली बात होती है, जो इस देश के सिस्टम से निकली है. राष्ट्र व राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर एक हो जाना उनमे से एक है.
चीन ने कहा पेलोसी ताइवान आयी तो उनका एयरक्राफ्ट नीचे गिरा देंगे, माईक पोम्पियो बोले झुको मत आगे बढ़ो
दरअसल अमेरिका की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख सदस्य पेलोसी ने हाल ही में एक बयान दिया कि वो जल्द ही एक लम्बे विदेशी दौरे पर जाने वाली है और जिन देशो में वो जायेगी उनमे ताइवान भी शामिल होगा. अब क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और अमेरिका की इतनी बड़ी नेता के वहाँ जाने से उसे असहजता होगी तो इसके चलते चीन ने अपने माउथपीस ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से चेतावनी भेजी ‘यदि पेलोसी अमेरिकी एयरक्राफ्ट में बैठकर ताइवान जाती है तो ये सीमा का उल्लंघन होगा और हम इसे नीचे भी गिरा सकते है.’
इस मुद्दे पर न सिर्फ सरकार बल्कि अमेरिका में बैठा विपक्ष भी आगबबूला हो गया. पूर्व अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट और रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य माईक पोम्पियो जो पेलोसी को पसंद भी नही करते उन्होंने भी कहा कि चीन ने हमारे महान देश को चेताने का प्रयास किया है. मैं राष्ट्रपति बायडन से कहूँगा कि डरे नही और इनका सामना करे. पोम्पियो ने तो ये तक कह दिया वो खुद भी पेलोसी के साथ जाने को तैयार है.
भारत में राष्ट्रीय मसलो पर दिखा अक्सर बिखराव, एक क्यों नही हो पाती पार्टियाँ
जहां अमेरिका जैसे देश अपनी महानता को कायम करने के लिए सब दल छोड़कर ऐसे मसलो पर एक हो जाते है, वही भारत में सर्जिकल स्ट्राइक का मामला हो, एयरस्ट्राइक का मसला हो या फिर चीनी घुसपैठ का मामला हो यहाँ सरकार और विपक्ष आपस में एक दुसरे को कोसते हुए नजर आते है और सवाल उठाते नजर आते है, जिसके कारण एकजुटता की कमी दिखाई पडती है.
अब सवाल यही उठता है कि क्या भारतीय दलों को अमेरिका से सीखने की जरूरत नही है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा और इज्जत की बात आती है तो एकजुट हो जाना सबसे अधिक आवश्यक होता है.