अभी के लिए एकनाथ शिंदे जिस तरह की राजनीतिक गलियारो में अपने लिए जगह तलाश रहे है उससे इतना तो साफ हो ही जाता है कि उनकी दिक्कते आने वाले वक्त में कम होने की बजाय बढ़ने ही वाली है क्योंकि वो कभी एक समय में प्रदेश के सबसे मजबूत रहे राजनीतिक घराने से टकराने की हिम्मत कर रहे है. खैर जो भी है शिंदे की वफादारी की मिसाले हमेशा से दी जाती थी और वो बिना किसी कारण ऐसा करते नही ऐसा तय था. अब उन्होंने कारण भी खुलकर के बताया है.
एमवीए के चुंगल से निकालना चाहता था पार्टी को, शिंदे ने बताया
जब बार बार बागी नेता और विधायक एकनाथ शिंदे से सवाल किया जाता रहा कि आखिर उन्होंने इस तरह से बगावत क्यों की? तो वो साफ़ तौर पर कहते हुए दिखे कि उन्होंने कोई भी सत्ता की लालच नही है लेकिन वो पार्टी को महाविकास अघाड़ी के चुंगल से निकालना चाहते थे. मैं ये संघर्ष शिवसैनिको के लिए कर रहा हूँ जो इनके जाल में फंस गये है और उनका इशारा शरद पवार की तरफ था.
शिंदे के बयानों की माने तो उनके अनुसार शिवसेना का अभी जो एनसीपी और कांग्रेस के साथ में गठबंधन हुआ है उससे पार्टी को घाटा हो रहा है और अन्दर ही अन्दर सेना को खत्म किया जा रहा है जिसको देखते हुए उन्हें ये फैसला लेना पड़ा है. खैर उनकी बातो में कितना सच है और कितना झूठ ये तो आने वाला वक्त ही बता सकता है.
प्रदेश में इस्तीफों का भी दौर जारी
वही दूसरी तरफ एनसीपी को नापसंद करने वाले शिवसैनिक भी अपनी तरफ से लगातार इस्तीफे दे रहे है. अभी हाल ही में ठाणे के शिवसेना जिलाध्यक्ष नरेश महासके ने भी इस्तीफा दे दिया और कहा कि उन्हें एनसीपी के साथ में काम करने में घुटन महसूस होती है और इस कारण से वो भी ये दल छोड़ रहे है.
इस तरह के आरोपों का सामना करना उद्धव ठाकरे के लिए आसान तो बिलकुल भी नही होने वाला है. हालांकि वो लगातार बागी विधायको को मुम्बई आने और आकर के सामना करने के लिए कह रहे है.