अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी को एक काफी बुरे दौर से गुजरना पड़ा है. वो नेता जो काफी लम्बे समय से उनके साथ में जुड़े हुए है वो धीरे धीरे करके उन्हें छोड़कर के जा रहे है. कही न कही ये काफी अधिक बुरा ही कहा जा सकता है और अगर अभी की बात करते है तो हाल ही में कपिल सिब्बल जैसे टॉप के नेता का यूँ अचानक से दल छोड़कर के समाजवादी पार्टी में चले जाना अपने आप में लोगो को चकित कर रहा है. खैर अब इस पर प्रतिक्रिया का तो सभी को इन्तजार था जो आ गयी है.
अब सदन में आगे बढ़ने और स्वतंत्र आवाज बनने का वक्त
अभी हाल ही में जब कपिल सिब्बल से इस पूरे घटनाक्रम के ऊपर प्रतिक्रिया मांगी गयी तो उन्होंने कहा कि मैं किसी भी पार्टी के साथ में अब रहना नही चाहता था, मेरे लिए अब आगे बढ़ने का और संसद में एक आजाद आवाज बनने का वक्त आ चुका है. आप किसी दल से लम्बे वक्त तक जुड़े रहते है तो फिर उसे छोड़ना बड़ा ही मुश्किल होता है.
मगर हर किसी को अपने लिए तो सोचना ही पड़ता है. अब भाजपा को रोकने के लिए सभी पार्टियों को एक साथ में लाना होगा मगर क्या कांग्रेस के बिना ऐसा हो सकता है? अगर आप नोटिस करे तो चाहे सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी हो लेकिन अभी भी वो उसे लेकर के कोई भी बुरी बात कहने से बच रहे है और अपने आपको एक सुरक्षित दायरे में रखने की कोशिश कर रहे है.
राज्यसभा सीट के लिये थामा सपा का हाथ
अभी के हालातो में नजर आ रहा था कि कपिल सिब्बल के पास में बहुत ही कम संभावना है कि वो कांग्रेस के सपोर्ट से आगे चलकर राज्यसभा में पहुँच पायेंगे और अपना करियर तो हर किसी को सुरक्षित करना ही था जिसके चलते उन्होंने दुसरे रास्ते तलाशने शुरू किये और सपा का रास्ता काफी ठीक रहा तो उन्होंने उसी को चुन भी लिया.
खैर अब इसके बाद में विरोधी उन्हें मौके का फायदा उठाने वाले नेता के तौर पर बुलाने लगे है लेकिन कही न कही उन्होंने अपने आपको एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह साबित तो कर ही दिया है. खैर अब उनका आगे का राजनीतिक सफ़र कैसा रहता है ये देखने वाली बात होगी.