अभी फिलहाल देश और दुनिया भर में एक बात को लेकर काफी अधिक चर्चा देखने को मिल रही है और वो है ज्ञानवापी मस्जिद. जिस तरह से दिन ब दिन ये सब कुछ मैटर तूल पकड़ता चला जा रहा है उसे देखकर के इतना तो पता चल ही जाता है कि जो कुछ भी घटित हुआ है उसके बाद में अयोध्या जैसा ही एक और दूसरा मामला खड़ा हो चुका है, जहाँ पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही पक्ष अपनी अपनी तरफ से दावे कर रहे है. खैर जो भी है अगर अभी की बात करे तो ये मामला काफी आगे बढ़ते दिख रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट धार्मिक चरित्र की पहचान से नही रोकता
आपको मालूम हो तो वाराणसी के लोकल कोर्ट में शिवलिंग मिलने को लेकर के जो सुनवाई चल रही है उसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट अक चला गया था. वहां पर उन्होंने दलील दी कि अभी ये जो वाराणसी के कोर्ट में हो रहा है वो कानूनी रूप से गलत है. प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट के तहत किसी भी स्थान का धार्मिक चरित्र नही बदला जा सकता है और यहाँ पर यही हो रहा है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष टिप्पणी की है जिसमे उन्होंने कहा है कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट धार्मिक चरित्र को बदलने से रोकता है लेकिन इसमें कही पर भी इस बात से नही रोका गया है कि किस स्थान का धार्मिक चरित्र क्या है? यानी लोकल कोर्ट जो भी सुनवाई कर रहा है वो अभी के लिहाज से बिलकुल भी गलत नही है और इस पर रोक नही लग रही है.
एएसआई के हवाले करने की भी उठ रही मांग
कई पक्ष ऐसे भी है जिनका कहना है कि ये एक ऐतिहासिक जगह है और नियमो के अनुसार इसे आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के हवाले कर दिया जाना चाहिए. अगर ऐसा किया जाता है तो फिर इसका पूरा अधिकार इस संस्था के पास में चला जाता है.
वही कई लोग सदन से प्लेसेज ऑफ़ वरशिप एक्ट में संशोधन की मांग भी कर रहे है. कुल मिलाकर के देखा जाए तो अभी ये पूरा मामला इतनी शान्ति से निपटने वाला नही है और आगे चलकर के इसमें और भी ज्यादा दिक्कते बढ़ने ही वाली है.