प्रधानमंत्री मोदी कुछ भी बड़ा करते है तो उससे पहले अपनी तरफ से कुछ न कुछ संकेत तो जरुर छोड़ते है और उसके जरिये अपने लोगो को और विरोधी दोनों को ही सन्देश देने की कोशिश करते है. हालंकि उन्होंने देश के मूल कानूनों में भी कई बड़े बदलाव किये है और कश्मीर जैसे क्षेत्रो में भी विवादों को काफी हद तक कम कर दिया है, मगर अब भी काफी सुधारों की गुंजाइश है और अभी वर्तमान में देश में एक और बड़े बदलाव की तरफ सरकार बढ़ चुकी है.
दो सालो से अटका हुआ था सीएए, अब किसी भी वक्त नियम लागू हो सकते है
आपको मालूम तो होगा ही कि वर्ष 2019 में मोदी सरकार ने सीएए (नागरिकता संसोधन क़ानून) का बिल सदन में पास करवा दिया था और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये एक वैध क़ानून भी बन गया था. मगर इसके नियम देश भर में लागू नही हो सके थे क्योंकि पहले तो मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया, फिर शाहीन बाग जैसी जगहों पर प्रदर्शन और इसके बाद में करोना के कारण सरकार बाकी कामो में व्यस्त हो गयी थी.
मगर अब हाल ही में जब लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी सिक्खों के पर्व पर लोगो को संबोधित कर रहे थे तो उस दौरान उन्होंने सीएए का जिक्र किया और जल्द ही इसके प्रभाव की बात भी कही. प्रधानमंत्री मोदी ने दो सालो बाद में इसकी बात करनी शुरू कर दी है यानी जल्द ही इसके नियम नोटिफाई होंगे और लोगो को इस आधार पर नागरिकता मिलना शुरू हो जायेगी जो पाक, बंगलादेश और अफगानिस्तान से भागकर के आये हुए हिन्दू, सिख और बौद्ध आदि है.
भाजपा को क़ानून क्रियान्वित करने में देरी से हो रहे है कई राजनीतिक नुकसान
कई कारणों से सीएए क़ानून बनने के बाद में भी रूल्स के साथ में लागू नही हो सका जिसके कारण भाजपा को बंगाल में काफी नुकसान पहुंचा. मतुआ समुदाय के लाखो लोग जो एक समय में सीएए लागू होने के बाद में लोकसभा चुनावों में भाजपा के साथ में आ गये थे इस उम्मीद में कि वो भी भागकर के आये हुए है और उन्हें भी नागरिकता मिल जायेगी.
मगर उनके साथ में ऐसा नही हुआ तो बंगाल विधानसभा में उन्होंने फिर से ममता को वोट दे दिया. भाजपा और मोदी इन चीजो को अच्छे से समझ रहे है और इस कारण से फिलहाल के दिनों में काफी तेजी के साथ में सीएए के एडमिनिस्ट्रेटिव क्रियान्वयन पर लग चुके है.