अभी के दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी अपने आपका विस्तार करने की हर संभव कोशिश कर रहे है और कांग्रेस को उन्होंने कई जगहों पर चोट भी किया है. अगर अभी की बात करे तो फिलहाल में हमें नजर आ रहा है कि आम आदमी पार्टी खुदको राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर स्थापित करना चाहती है लेकिन सही मायनों में देखे तो अमित शाह ने केजरीवाल की ताकत को पहले ही काफी हद तक सीमित कर दिया है और ये नजर भी आता है.
पहले एमसीडी के संगठन में किया बदलाव, फिर चंडीगढ़ प्रशासन में भी केंद्र का हस्तक्षेप बढ़ाया
अभी हाल ही में केंद्र ने दिल्ली के तीनो नगर निगम के चुनाव टाल दिए और तीनो को एक साथ में मिलाया जा रहा है इससे केजरीवाल के लिए इनको जीतना काफी मुश्किल हो जाएगा और जब तक चुनाव नही हो जाते तब तक ये भाजपा के हाथ में ही रहेगा. इसके अलावा चंडीगढ़ के जो प्रशासनिक कर्मचारी है उनके ऊपर भी अब केंद्र कर्मचारी के नियम लागू होंगे जिससे ये केंद्र के कण्ट्रोल में एक तरह से आ गये है तो पंजाब की राजधानी के एडमिनिस्ट्रेशन में केंद्र का हस्तक्षेप बढ़ जायेगा.
भाखड़ा व्यास मेनेजमेंट बोर्ड का संगठन भी बदला, हिमाचल में भी पार्टी को तोडा
तीसा सबसे बड़ा काम किया है केंद्र ने कि भाखड़ा व्यास मेनेजमेंट बोर्ड जहाँ पर एक सदस्य हमेशा से ही पंजाब से और एक हरियाणा से होता था उसे लेकर नियम बदल दिया और कहा ये सदस्य अब देश में कही से भी हो सकते है. इससे पंजाब सरकार यानी आप सरकार का हस्तक्षेप इसमें भी खत्म हो जायेगा.
ये बोर्ड नदियों के पानी की सप्लाई हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में कण्ट्रोल करता है और अगर ये केजरीवाल के प्रभाव में जाता तो हरियाणा को कम और पंजाबा व दिल्ली को अधिक पानी मिलने लगता और इसका राजनीतिक उपयोग भी हो सकता था जिसके चलते इसे रोक दिया गया.
वही चौथा कदम यहाँ पर भाजपा ने हिमाचल प्रदेश से पूरी आम आदमी पार्टी के प्रदेश कमान को भाजपा में मिलाकर के कर दिया. आम आदमी पार्टी ने जो भी काफी मेहनत के बाद अपनी बड़ी टीम तैयार की थी ताकि हिमाचल में जीत हासिल कर सके वहां पर से शाह ने पूरी सफाई कर दी है. कुल मिलाकर के अमित शाह अब केजरीवाल को राष्ट्रीय स्तर पर जाने से रोकने के लिए हर नीति अपनाते हुए नजर आ रहे है.