अभी वर्तमान में विश्व भर में जब हम एक नजर डालते है तो सारी दुनिया दो हिस्सों में बंटती हुई नजर आती है जहाँ पर एक तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी देश है और दूसरी तरफ एक अलग थलग हो रखा रूस है. ऐसे में विश्व शक्ति के रूप में उभर चुके अमेरिका का साथ लगभग हर साथी मित्र देश उसके कहे अनुसार कार्य कर रहे है और उसका अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर समर्थन भी कर रहे है मगर भारत को लेकर के काफी अधिक चिंता बायडन के मन में झलकते हुए नजर आ रही है.
बयान में बोले बायडन, भारत का व्यवहार अस्थिर वो मित्र राष्ट्रों में अपवाद
अभी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडन उद्योगपतियों से बात कर रहे थे तो उन्होंने उनके सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए बताया कि किस तरह से उनके कहने पर विश्व भर के लगभग सारे देशो ने रूस को अलग थलग कर दिया है और उन्होंने अपने आपको एक विश्व के सबसे बड़े लीडर के तौर पर प्रस्तुत करने की कोशिश भी की. मगर साथ ही साथ में अमेरिकी राष्ट्रपति यहाँ पर भारत का जिक्र करने से भी नही चूके.
उन्होंने साफ़ साफ़ शब्दों में कहा कि अमेरिका भारत के सारे ख़ास मित्र देशो में एक अपवाद की तरह है, भारत का व्यवहार वर्तमान में रूस के मामले में काफी अधिक अस्थिरत टाइप का रहा है. बायडन ने भारत के रूख को लेकर के चिंता व्यक्त की और आगे चलकर चीजो को अपने पक्ष में करने पर भी भरोसा जताया.
अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर भारत नही दिखा रहा अधिक झुकाव
हालांकि अमेरिका के साथ में भारत की स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप पिछले एक दशक में काफी अधिक बढ़ी है. भारत का व्यापार और मिलिट्री निर्भरता भी अमेरिका के साथ काफी अधिक ज्यादा हो चुकी है लेकिन इसके बाद भी आज भारत कई मायनों में रूस के ऊपर निर्भर है और डिफेन्स इम्पोर्ट उनमे से एक है.
ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति और यूरोप का भारत की फॉरेन पालिसी को लेकर के झुन्झुला जाना अपने आप में वाजिब भी है क्योंकि ये उनके अनुसार नही है. हालांकि भारत किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को अपने विदेश मंत्रालय में होने से नकारता है.