भारतीय राजनीति में आज के समय में कश्मीर से बड़े नेताओं में एक नाम हमेशा ही आता है और वो है गुलाम नबी आजाद. काफी अधिक लम्बे समय तक वो कांग्रेस से जुड़े हुए रहे है और साथ ही साथ में आजाद ने सदन में भी एक बड़े चेहरे के तौर पर भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री मोदी एक बार उनके सदन के जाने पर भावुक भी हो गये थे तो इससे पता चलता है कि गुलाम नबी आजाद के चेहरे की अपनी एक ख़ास वैल्यू तो है और इस बात को कोई नकार भी नही सकता है.
राजनीति छोड़ समाजसेवा में जाना चाहते है आजाद
अभी हाल ही में गुलाम नबी आजाद अपने से जुड़े हुए लोगो को संबोधित कर रहे थे और उसी के दौरान उन्होंने ये कहा कि सिविल सोसाइटी के साथ में काम करना है समाज में बदलाव लाना है धर्म के आधार पर बँटवारे को रोकना है. हमे समाज में बदलाव लाना है, कभी कभी मैं सोचता हूँ आपको ये पता चले हम रिटायर हो गये और समाज सेवा में लग गये है. गुलाम नबी आजाद के इस बयान के काफी अधिक मायने निकाले जा रहे है.
कांग्रेस में अधिक तरजीह न पाने के बाद से अलग हो गये आजाद
अगर हम आज की तारीख में बात करे तो गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं के समूह में शामिल है जिन्हें कोई ख़ास तरजीह नही मिल रही है और बीच में तो उनके द्वारा विरोध दर्ज करवाने जैसी खबरे भी आने लगी थी लेकिन अभी भी वो किसी न किसी तरह से पार्टी में डट रखे है.
मगर इस बात में कोई भी संशय नही है कि आने वाले वक्त में अगर स्थिति यथासंभव ही बनी रहती है और चीजो में सुधार होते हुए नही दिखता है यानी न तो वरिष्ठ नेताओं की कोई ख़ास इज्जत होती है और न कांग्रेस बड़े राज्यों में अपनी पकड बना पाती है तो फिर संभावना है कि आजाद पार्टी छोड़ भी दे और कांग्रेस छोड़ने के बाद में उनके पास में समाजसेवा के अलावा और कोई विल्कल्प भी तो नही बचता है.
खैर ये सिर्फ कहने भर की बाते है या फिर वो वाकई में राजनीति छोड़ कोई समाज पर उपकार करना चाहते है ये तो आने वाला वक्त ही बता पायेगा.