भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस अभी इन दिनों में उत्तर प्रदेश के चुनावों पर टिका हुआ है. एक तरह से अभी हर कोई ये भी देख सकता है कि पार्टी ने अपनी लगभग पूरी ताकत योगी और मोदी की जोड़ी को प्रमोट करने में डाल दी है. हालांकि भारत में अब चीजे जातिवाद से ऊपर उठते हुए दिखी है लेकिन फिर भी हर समूह की अपनी पहचान होती है और उसे अपने तरफ करने को लेकर पार्टियों में होड़ मची रहती है. अभी यूपी में भी ऐसी ही कुछ होड़ देखने को मिल भी रही है.
केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने की ब्राह्मण नेताओं से मुलाकात, अपने साथ जोड़े रखने पर हुई चर्चा
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के काफी ख़ास और यूपी चुनाव में अहम काम देख रहे धर्मेन्द्र प्रधान ने अपने आवास पर एक काफी बंद कमरे टाइप की मीटिंग की जिसमे बड़े बड़े ब्राह्मण नेता मौजूद थे. मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि इस मीटिंग में इस बात को लेकर रूपरेखा तय की गयी है कि ब्राह्मण वोट बैंक जो लम्बे समय से भाजपा के साथ जुड़ा हुआ है वो इस बार भी चुनावों में हमारा साथ दे और बिलकुल भी इधर उधर न बिखरे.
बसपा सेंध लगाने की कोशिश कर रही, मायावती ने भी किये कई लुभावने वादे
वैसे तो बसपा एक दलित प्रेमी पार्टी के रूप में जानी जाती है लेकिन अभी ये समझ चुकी है कि केवल दलित वोट सत्ता प्राप्ति नही करवा सकते इसलिए मायावती ने अपने कई लोकल और बड़े स्तर के ब्राह्मण नेता खड़े किये है जो बसपा के लिए वोट मांग रहे है. बात सिर्फ यही पर नही रूकती है अभी हाल ही में मायावती ने एक ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन भी किया था.
इसके अलावा राम मंदिर निर्माण जल्दी से करवाने जैसे दावे करके भी ये पार्टी बार बार लाइम लाइट में आ रही है. ऐसे में एक बात तो जाहिर है कि पिछले कुछ घटनाक्रमों से नाराज हुए ब्राह्मण हो सकता है आने वाले चुनावों में ये जाति भाजपा से छिटक जाए या छिटकने की कोशिश भी करे.
मगर इसके लिए अभी से ही रणनीति बननी शुरू हो चुकी है. अब बंद कमरे में किस तरह की नीतियां बनी है और क्या कुछ होने जा रहा है ये तो कोई साफ़ तौर पर बता नही सकता है लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में भाजपा फ्रंट फुट पर खेलने के मूड में है.