अभी के लिये भारत विकास के पथ पर है और एक विकासशील देश की श्रेणी में आ रहा है. आज हमारे पास में काफी अधिक अच्छे खासे रिसोर्सेज है और कही न कही विश्व में भारत की इकॉनमी भी अच्छे तरीके से आगे बढती चली जा रही है. ये एक अच्छी खबर है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि हमारी जनसँख्या इतनी अधिक होती चली जा रही है कि इतने अधिक रिसोर्स और पैसा होते हुए भी सही तरीके से वितरण नही हो पाता है और कई लोग गरीब रह जाते है. मगर अब एक तसल्ली देने वाली खबर आयी है.
भारत की जनसँख्या गिरनी शुरू हो गयी, महिलाओं की संख्या भी बढ़ गयी
पिछली कुछ दशको में हम लोगो ने देखा है कि भारत की जनसँख्या कई गुना बढ़ चुकी है और आज की तारीख में हमारी पापुलेशन 140 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है. अभी लोगो का अंदाजा था कि ये तो और भी बढ़ेगी मगर अब ऐसा नही हो रहा है. अभी हाल ही में भारत सरकार के सर्वे ने बताया है कि भारत में अब फर्टिलिटी रेट 2.1 पहुँच चुका है यानी अब भारत की जनसँख्या बढ़ने की बजाय घटना शुरू हो जायेगी.
संभव है कि आने वाले दशको में भारत की जनसँख्या 140 करोड़ से 150 करोड़ होने की बजाय फिर से 120 करोड़ पर आ जाए और इसे एक बहुत ही सकारात्मक खबर के तौर पर देखा जा रहा है. एक अन्य सर्वे हमें ये भी बताता है कि भारत में अब महिलाओं की संख्या पुरुषो की तुलना में बढ़ चुकी है और ये प्रति एक हजार पुरुष पर 1020 महिलाएं भी हो सकती है और ये भी अच्छा ही है.
रिसोर्स और पैसा कम बंटेगा, लोग बनेंगे धनवान
अभी अगर भारत की जनसँख्या स्थिर हो जाती है या फिर घटने लग जाती है तो हमारे रिसोर्स जैसे बिजली, ऑटोमोबाइल्स, ट्रांसपोर्ट, खेती, जमीन, मकान आदि हर चीज में जो बंटवारा होता चला जा रहा था और लोगो के पास में सम्पति बंटती चली जा रही थी वो एक बार के लिए रूक जायेगी और इससे लोगो को और अधिक ग्रोथ कम मेहनत में मिलेगी.
इस कारण से कहा जा रहा है कि अगर ऐसा हो जाता है तो आने वाले दो से तीन दशक भारत के लिए बहुत ही अधिक सुनहरे हो सकते है. हालांकि अभी ये सिर्फ एक सर्वे ही बता रहा है. अभी हमें कम से कम फुल जनसँख्या गणना के अगले आंकड़ो के आने तक के लिए इन्तजार करना चाहिए.