भारत को आज के समय में विश्व में एक बड़े व्यापारिक हब के रूप में देखा जा रहा है. यहाँ पर वो सब कुछ है जो एक व्यापार को सफल होने के लिए चाहिए. एक अच्छी सरकार, पारदर्शी नियम, सस्ती और स्किल्ड वर्कफ़ोर्स और अच्छा खासा ट्रांसपोर्ट सिस्टम. अब इन सबके चलते हुए चीन को भारत टक्कर देने में लगा हुआ है लेकिन एक मामले में चीन अब भी आगे था और वो था सप्लाई चैन. ऐसे में नाम आता है अमृत आचार्य का जिनकी कम्पनी चीन को नाको चने चबवाने के ऊपर काम कर रही है.
चार साथियो ने की है जेटवर्क की स्थापना, चीन से बाहर शिफ्ट हो रही कम्पनियों के लिए साबित हो रही मददगार
आज से तीन वर्ष पहले अमृत आचार्य, श्रीनाथ राम कृष्णन, विशाल चौधरी और राहुल शर्मा ने मिलकर के एक स्टार्ट अप की शुरुआत की जिसका नाम रखा गया ‘जेटवर्क’. महज तीन वर्षो में इस कम्पनी की वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर से भी अधिक की हो गयी है और आज ये विश्व की कई बड़ी कम्पनियों की सप्लाई चैन को बनाये रखने के लिए काम करती है.
उदाहरण के तौर पर अगर कोई विदेशी कम्पनी भारत में टेक्सटाइल का व्यापार शुरू करती है. अब ऐसे में उसे उच्च क्वालिटी के कपास की कही से जरूरत पडती है तो आम तौर पर उन्हें काफी जगहों पर ख़ाक छाननी पडती है और काफी परेशानी उठानी पडती है लेकिन जेटवर्क इन सब दिक्कतों को खुद ही दूर कर देता है. ये अपने लोजिस्टिक पॉवर और सप्लाई इंटेलिजेंस की मदद से कम्पनियों को जिन चीजो की जरूरत निर्माण कार्यो में पडती है उनकी कमी नही आने देते है.
इससे कम्पनियों के निर्माण के प्रोसेस न सिर्फ तेज होते है बल्कि साथ ही साथ में ये उन्हें तुलनात्मक रूप से सस्ता भी पड़ता है. ये एक तरह से बड़े ब्रांड्स के लिए छोटे स्तर के उद्योगों के बीच में सप्लाई चैन को मेंटेन करने का काम करती है. ठीक ऐसा ही चीन में भी होता था जिसके कारण से वहां पर कम्पनियां तेजी से निर्माण इकाइयां स्थापित कर पाती थी और अब वही काम भारत में जेटवर्क कर रहा है.
10 हजार सप्लायर का मजबूत नेटवर्क
आज इस कम्पनी के पास में दस हजार सप्लायर का मजबूत नेटवर्क तैयार हो गया है जो अरबो के बिजनेस कर रहे है और भारत की इकॉनमी मजबूत कर रहे है. देश में अगर जेटवर्क जैसे और स्टार्ट अप खड़े हो जाए तो भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने से कोई रोक नही सकता है.