चीन आज दुनिया में एक बड़ी इकनोमिक पॉवर के रूप में उभर चुका है और हर कोई देख भी रहा है कि किस तरह से पूंजीवाद के सहारे आज चीन बहुत ही ज्यादा पैसे वाला देश बन चुका है. मगर लगता है जैसे अब उसका इन सब चीजो से मन भर चुका है और वो उसी रास्ते पर फिर से लौटना चाह रहा है जिस पर से कभी एक वक्त में वो आया था. सुनने में थोडा अजीब जरुर लग सकता है लेकिन ये बात इन दिनों में चीन में सच होते हुए नजर आ रही है.
जिनपिंग का बयान, अब अधिक अमीरी को रोका जायेगा और सामूहिक समृद्धि पर ध्यान दिया जायेगा
चीन के राष्ट्रपति और कर्ता धर्ता ने अभी हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है जिसमे उन्होंने कहा है कि आगे से जो संपतियां है उनके एक ही जगह पर केंद्रीकरण होने से रोका जायेगा और लोगो के बीच में वितरण के जरिये सामूहिक समृद्धि की तरफ ध्यान दिया जायेगा. यानी इसके कहने का अर्थ ये है कि जो लोग ज्यादा पैसा कमाते है उनसे टैक्स आदि के रूप में पैसा वसूलकर लोगो के बीच में बांटा जाएगा.
चीन में वापिस लौटने की तैयारी में समाजवाद, सरकार पालिसी लाने की तैयारी में
चीन में अभी एक बार फिर से पूंजीवाद को छोड़कर के समाजवाद को अपनाने की बात चल रही है जहाँ पर किसी को भी अधिक अमीर बनने या फिर ज्यादा पैसा कमाने की अनुमति नही होगी. जो ज्यादा कमाएगा उससे उतना ही अधिक पैसा टैक्स के रूप में वसूल करके उसे बाकी लोगो में बाँट दिया जायेगा. ये अभी आधिकारिक नही है लेकिन जल्द ही ऐसा ही कुछ होने की उम्मीदे नजर आ रही है.
चीन की कम्पनियों के शेयर धडाम, कम्पनियां भी घाटे में
चीन की सरकार के इस फैसले से कई कम्पनियो के शेयर धडाम होकर के गिरते चले जा रहे है. टेंसेंट जैसी कम्पनियां जो कभी घाटे में नही रही है उन्होंने भी इस वर्ष पहली बार अपना लोस रिपोर्ट किया है, यानी वाकई में कम्पनियों को कण्ट्रोल में लाकर के सरकार उनको लोस में डाल रही है ताकि सरकारी कण्ट्रोल देश पर बढ़ सके और पूंजीपति कही देश के सिस्टम पर कब्जा न कर ले.
इससे चीन को बड़े नुकसान होने की आशंका है क्योंकि अगर लोगो को बड़े बिलेनियर ही नही बनने दिया जाएगा तो फिर वो चीन में रहकर के बड़ी कम्पनियां क्यों बनायेंगे? ऐसे में काफी बड़े बिजनेसमेन चीन से निकलकर दुसरे देशो में शिफ्ट होने की कोशिश भी कर सकते है.