हमने देखा है कि पिछले कुछ समय से भारत सिर्फ और सिर्फ चीजो को ओबजर्व करने के ऊपर ही अधिक जोर दे रहा है और इस कारण से बहुत कुछ है जो उस हिसाब से काम नही कर रहा है जैसे करना चाहिए. कही न कही भारत और तालिबान के बीच में सम्बन्ध काफी हद तक सार्थक हो नही सकते क्योंकि भारत की सरकार अभी तक तो इसे मान्यता भी देती नही है, मगर हाल ही में जो हुआ है उसे काफी बड़ी डेवलपमेंट के रूप में देखा जा रहा है और ये काफी चकित भी करता है.
तालिबान के अनुरोध के बाद क़तर स्थित भारत के दूतावास में मीटिंग, अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को लेकर हुई बात
अभी की जो जानकारी मिल पा रही है उसके अनुसार तालिबान ने खुद ही अपनी तरफ से भारत को मीटिंग करने के लिए रिक्वेस्ट की थी जिसके बाद में क़तर में स्थित भारत के दूतावास में मीटिंग हुई. इसमें भारत की तरफ से भारत के राजदूत और तालिबान के नेता शेर मोहम्मद के बीच में ये मीटिंग करवायी गयी थी जिसका स्थान भारत का दूतावास ही रहा.
इस मीटिंग में मुख्य चर्चा अफगानिस्तान में फंसे हुए भारतीयो को वहां से बाहर सुरक्षित निकालने पर ही रहा. इसके अलावा अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक लोग जो हिन्दू और सिख समुदाय से आते है उनके अधिकारों की रक्षा को लेकर के भी बात हुई. अभी के लिए तालिबान भारत के साथ में अच्छा बनने की कोशिश कर रहा है क्योंकि भारत की मदद के बिना अफगानिस्तान में लम्बे वक्त तक टिक पाना उसके लिए मुश्किल है.
अमेरिका छोड़ कर निकल गया, अब मीटिंग के अलावा और कोई रास्ता ही नही
अमेरिका ने आज ही के दिन अफगानिस्तान से अपनी पूरी मिलिट्री की निकासी प्रक्रिया को पूरा कर दिया और काबुल एयरपोर्ट को भी तालिबान को सौंप दिया जिसके बाद में अब अफगानिस्तान और इसके अन्दर मौजूद हर व्यक्ति तालिबान के कब्जे में है. ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिये ये मीटिंग ही एक रास्ता बचा था.
हालांकि अब इस मीटिंग का क्या रिजल्ट निकलता है ये तो कोई नही जानता क्योंकि लम्बे समय से हर कोई एक बात तो जानता ही है कि तालिबान का कभी किसी भी समय भरोसा नही किया जा सकता है.