आज की तारीख में हम बहुत ही अधिक तीव्रता के साथ में अस्थिरता की तरफ बढ़ रहा अफगानिस्तान देख रहे है और कही न कही ये बहुत ही ज्यादा चिंता वाली बात तो है. अगर सही मायनों में बात करे तो आज की डेट में भारत के भी काफी अधिक इंटरेस्ट है जो खतरे में आ गये है क्योंकि हाल ही में तालिबान ने धीरे धीरे करके अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और वो दिन दूर नजर नही आ रहा है जब पूरा देश इनके हक़ में जा सकता है फिर क्या होगा? इस स्थिति में एक कडा और सटीक निर्णय सामने आया है.
भारत और अमेरिका समेत 12 देशो का संयुक्त निर्णय, तालिबान की सरकार को मान्यता नही
अभी हाल ही में क़तर की मेजबानी में अफगानिस्तान में बिगड़ रहे हालातो पर कई देशो ने मिलकर के चर्चा की है कि आगे क्या किया जा सकता है? फिर अंत में सभी मिलकर के इस निर्णय पर पहुंचे है कि ये जो जोर जमाकर के मजबूरी का फायदा उठाकर के जो अफगानिस्तान में जबरदस्ती की सरकार बनने जा रही है हम इसे किसी भी कीमत पर मान्यता नही देने वाले है.
ये निर्णय संयुक्त रूप से भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन, नोर्वे, जर्मनी, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुकी और तुर्कमेनिस्तान समेत कुल 12 देश शामिल थे. हैरानी की बात ये है कि इस बैठक में चीन और पाक भी शामिल हुए थे जिन पर तालिबान को बढ़ावा देने का आरोप लगा है और अब ये उस बैठक का हिस्सा बन रहे है जिसमे अफगानिस्तान को तालिबान से बचाने और उनकी सरकार को मान्यता न देने की बात हो रही है.
भारत का निर्णय काफी सख्त, रहना पड़ सकता है अडिग
अभी अफगानिस्तान भारत से कोई बहुत अधिक दूर नही है जैसा कि अमेरिका से साथ में है. यूरोप और अमेरिका तालिबान को कुछ भी बोलकर के हजारो किलोमीटर दूर चैन से रह सकते है लेकिन भारत और अफगानिस्तान एक ही रीजन का हिस्सा है तो ऐसे में भारत के ऊपर तालिबान के पॉवर में आने के बाद में काफी अधिक दबाव पड़ने वाला है और ये सरकार भी काफी अच्छे से समझ रही है.
मगर लोकतंत्र, लोगो की आजादी, बच्चो की शिक्षा, महिलाओं के लिए समानता और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर भारत और यहाँ की सरकार आज के समय में अपने फायदे के लिए तालिबान जैसी पार्टी से समझौता कर नही सकती है ये हम लोग अच्छे से देख और समझ पा रहे है.