अभी हाल ही में मोदी सरकार ने एक बहुत ही बड़ा निर्णय लिया है जिसके तहत देश में मिलने वाले सबसे बड़े खेल क्षेत्र के पुरस्कार ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ का नाम बदलकर के ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ कर दिया गया है. इसके पीछे की दलील यही मानी जा रही है कि अगर खेल का कोई पुरस्कार दिया जा रहा है तो फिर वो किसी महान खिलाडी के नाम पर होना चाहिए न कि किसी नेता के नाम पर होना चाहिये. ये अपने आप में काफी बड़ी बात भी है मगर कांग्रेस इससे नाराज सी नजर आ रही है.
संजय निरूपम बोले ये ओछी हरकत, मेरा विरोध रहेगा
कांग्रेस पार्टी के नेता और प्रवक्ता के तौर पर अपनी पहचान बना चुके संजय निरुपम ने हाल ही में अपने बयान में कहा है कि एबीपी न्यूज ने मुझे गलत जानकारी लेकर के मुझसे प्रतिक्रिया ली. मुझे बताया गया कि मेजर ध्यानचंद को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला है तो मेने भी कह दिया कि सराहनीय कदम है. बाद में मुझे ये पता चला कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर के मेजर ध्यानचंद जी के नाम पर किया गया है. ये वाकई में एक ओछी हरकत है, मेरा विरोध.
सुरजेवाला ने कहा ध्यानचंद जी का इस्तेमाल राजनीति में न हो, नरेंद्र मोदी स्टेडियम का भी नाम बदले
कांग्रेस ने इस मामले में आधिकारिक रूप से प्रेस वार्ता करके अपनी तरफ से प्रतिकिया दी और कहा कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर थे और सरकार को उनके नाम का इस्तेमाल राजनीति में नही करना चाहिए था. खैर जो भी है हम इस फैसले का स्वागत करते है. पीएम मोदी को छोटी सोच से ऊपर उठना चाहिए और नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम भी किसी बड़े खिलाडी के नाम पर करना चाहिये.
दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले में तंज कसते हुए कहा है कि पीएम मोदी को खुद से ही इतना अधिक प्रेम है कि वो किसी और को बर्दाश्त ही नही कर सकते है. हमें तो कोई दिक्कत नही है लेकिन ऐसा है कि राजीव जी ने खेल को काफी बढ़ावा दिया था और मेजर ध्यानचंद जी के नाम पर स्टेडियम पर भी बनाया गया. नरेंद्र मोदी इसे खुद के नाम पर ही रख लेते तो खुद उन्हें ज्यादा अच्छा लगता.
हालांकि वो नेता जिनसे इस मामले पर सबसे अधिक अपेक्षा की जा रही थी यानी राहुल गांधी वो इस पर कुछ बोले नही है. जब मीडिया ने इस पर उनसे सवाल करने की कोशिश की तो वो एकदम ही उसे अनसुना करके आगे बढ़ गये है.