इस देश में नाम और इसकी परम्पराओं को लेकर के जो भी कहासुनी है वो तो लम्बे समय से चली ही आ रही है और ये बात हम लोग भी बखूबी जानते है कि किस तरह से कई सारी चीजे है जो हमारे हाथ में होती है तो कई सारी चीजे हमारे हाथ से निकल जाती है जैसे इन दिनों में कांग्रेस पार्टी के हाथ से उनकी लीगेसी निकलते हुए नजर आ रही है. अभी के दिनों में पीएम मोदी के एक फैसले को देखते हुए तो ऐसा ही कुछ लग रहा है कि अब कांग्रेस धीरे धीरे अपनी पहचान खो रही है.
बदला गया राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम, मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा
अभी हाल ही में मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ का नाम बदलकर के ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ कर दिया गया है. कही न कही ये बहुत ही बड़ी बात है जो इस सरकार ने कर डाली है और इसके बाद में भी लग नही रहा है कि मोदी सरकार कही पर भी रूकने वाली है क्योंकि इसे तो सिर्फ और सिर्फ एक ट्रेलर ही माना जा रहा है.
काफी लम्बे समय से उठती रही है मांग
बहुत लम्बे समयकाल से कई संगठन और राजनीतिक लोग इस बात की मनाग करते आये है कि खेल रत्न के आगे से राजीव गांधी को हटा देना चाहिए क्योंकि चाहे वो हमारे पूर्व प्रधानमंत्री रहे है लेकिन उनका खेल से या स्पोर्ट्स से कोई भी दूर दूर तक वास्ता नही रहा है इसलिए सर्वोच्च खेल के पुरस्कार में उनकी बजाय किसी बड़े और ऐतिहासिक खिलाड़ी का नाम होना चाहिए और मोदी सरकार ने इसी पर गौर करते हुए इसे वाकई में कर दिया है.
राहुल ने नही दी कोई प्रतिकिया, अनसुना करके चले गये
राहुल गांधी से जब इस मामले में सवाल किया गया कि ये जो पुरस्कार का नाम बदला गया है तो फिर इस पर वो क्या कहना चाहते है? इस पर राहुल ने कोई भी प्रतिक्रिया नही दी है और वो बस इस सवाल को अनसुना करके चले गये है. यानी वो इसे लेकर के सकारात्मक तो बिलकुल भी नही है.
जाहिर तौर पर कांग्रेस को ये बात अच्छी तो बिलकुल भी नही लगेगी क्योंकि उनसे उनका नाम और उनका रूतबा जो छीना जा रहा है. कही न कही ये बहुत ही अजीब भी है और लोगो की नजर में ये चीज किसी ठीक नही रहेगी जिनके मन में कांग्रेस के प्रति प्रेम है.