अभी हाल ही में देश करोना काल से करोना जैसी समस्या से होकर के गुजरा है और ऐसे वक्त में जाहिर तौर पर किसी भी सरकार की लोकप्रियता कम हो जायेगी क्योंकि कई लोगो को नुकसान हुआ है और बहुत से लोग ऐसे भी है जिनके अपने ऊपर चले गये है. ऐसे वक्त में सरकार किस तरह से परफॉर्म करती है उसी आधार पर उनका अगला चयन होता है और हमें लग रहा है कि उस चयन के मामले में योगी आदित्यनाथ फ़िलहाल काफी हद तक खरे उतरते हुए नजर आ रहे है.
आज भी 46 प्रतिशत लोगो की पहली पसंद योगी, कामकाज से संतुष्ट
अभी हाल ही में एक बड़ी जानी मानी मीडिया एजेंसी की तरफ से एक सर्वे करवाया गया था और इस सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े आये. यहाँ पर कुल 46 प्रतिशत लोग थे जो पूरी तरह से योगी आदित्यनाथ के काम काज से संतुष्ट थे और फिर से उन्हें सीएम पद पर देखना चाहते है. प्रदेश में सिर्फ 20 प्रतिशत लोग ही ऐसे नजर आये जिनको योगी आदित्यनाथ से शिकायत है और वो अभी योगी आदित्यनाथ को पसंद नही करते है.
दुसरे पायदान पर मायावती तो तीसरे पर खिसके अखिलेश यादव
अगर बात करे नम्बर दो और नम्बर तीन के वर्तमान में सबसे लोकप्रिय उम्मीदवारों की तो उसमे भी दो नाम आ रहे है. यहाँ पर प्रदेश में हुए सर्वे में 28 प्रतिशत लोग फिर से मायावती को सीएम देखना चाहते है जबकि 22 प्रतिशत लोगो की पहली पसंद आज भी अखिलेश यादव ही है. यानी अगर इन दोनों के प्रतिशत को मिला दिया जाए तब जाकर के ये कही योगी आदित्यनाथ के बराबरी पर जाकर के पहुँच पाते है.
ऐसे में एक बात तो साफ़ तौर पर नजर आ जाती है कि आज की तारीख में योगी आदित्यनाथ की बराबरी करने वाला नेता फ़िलहाल उत्तर प्रदेश के अन्दर कोई भी नही है. करोना काल से पहले और बादमे किये गये दोनों ही सर्वे में कुछ ज्यादा ख़ास अंतर देखने में नही आया है और राजनीतिक पंडित मानते है कि चुनावी रिजल्ट भी कुछ ऐसे ही रहने वाले है.
धार्मिक छवि के साथ विकास पुरुष के तौर पर होना रहा फायदेमंद
योगी आदित्यनाथ धर्म के प्रति काफी समर्पित इन्सान माने जाते है जिसके कारण उनको एक बड़ा वोट बैंक स्वतः ही हासिल हो जाता है और अभी हाल ही में उन्होंने जो नॉएडा से लेकर गाजियाबाद और ग्रेटर नॉएडा जैसे शहरी इलाको में जो कम्पनियों का इन्वेस्टमेंट बुलाया है और इन्फ्रा पर जोर दिया है उसने उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया ही है.