अभी के लिए बात करे अगर हम लोग तो पीएम मोदी से सबसे ज्यादा बहस बाजी किसी नेता की होती है तो वो ममता बनर्जी है और फिर बंगाल में टीएमसी सरकार के रहते हुए जो भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ में हुआ वो अपने आप में हैरान करने वाला ही नही बल्कि काफी दुःख से भरा भी था. खैर ये सब होते हुए भी ममता हो या फिर मोदी दोनों ही संवैधानिक स्ट्रक्चर का हिस्सा है. इसी के कारण दोनों के बीच में चाहे राजनीतिक तनाव कितना ही हो लेकिन साथ में काम करना पड़ता है.
ममता ने माँगा दिल्ली में मुलाकात का टाइम, मोदी ने दिया वक्त
ममता बनर्जी अभी 25 जुलाई को दिल्ली जा रही है और दिल्ली जाने के साथ ही वो अपने कई हित साधने की कोशिश कर रही है. इसके लिए उन्होंने इतनी तनातनी होने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी से रिक्वेस्ट की कि वो उनको मिलने के लिए टाइम दे और उनको टाइम मिल भी गया है. हालांकि उनको अधिक टाइम नही मिला है, ममता को कुछ थोड़े से समय में ही अपनी बाते रखनी होगी और समय समाप्त हो जाएगा.
ममता इसके अलावा राष्ट्रपति महोदय से मिलने का प्रयास भी करेगी, हालाँकि अभी उनके दफ्तर से ये कन्फर्म नही हो पाया है कि उनको समय मिलेगा या फिर नही? कही न कही ये जो कुछ भी हो रहा है या फिर दुसरे शब्दों में कहे तो देखने में आ रहा है इससे इतना जाहिर हो जाता है कि आप अपने राज्य में कितने ही बड़े हो लेकिन केंद्र के सामने आकर के आपको अपनी बाते रखनी ही पडती है और सामंजस्य रखकर के चलना पड़ता है क्योंकि आप और आपका राज्य भी आखिर में इस देश का ही हिस्सा है.
माना जा रहा है कि ममता के इस विजिट के पीछे का कारण आर्थिक मदद और टीको की कमी को पूरा करने जैसे मुद्दे है. इस पर पीएमओ क्या निर्णय लेता है ये तो आखिर में देखने वाली ही बात होगी.