रूस और भारत हमेशा से ही एक अच्छे दोस्त रहे है और इस बात में कोई भी संशय नही है कि इतिहास में कई बार ऐसे मौके आये है जब रूस और भारत एक साथ खड़े हुए है. मगर परिस्थितियां ऐसी चीज है जो दोस्ती को बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है. अभी भारत और रूस के बीच में भी कुछ ऐसा ही होते हुए नजर आ रहा है. अभी हाल ही में भारत और रूस के बीच में कुछ एक ऐसी चीजे हुई है जो अपने आप में अप्रत्याशित रही है.
रूस की मिलिट्री को ऑपरेशन से भारत को मिल सकता था भारत को काफी फायदा, रूस का इनकार
अभी आपको मालूम तो होगा ही कि अफगान से अमेरिका के निकल जाने के बाद से ही वहाँ पर तालिबान हावी हो चुका है और वो दिन दूर नजर नही आ रहा है जब पूरे देश पर ये लोग राज करते हुए नजर आयेंगे. अब ऐसे वक्त में भारत के लिए टेंशन वाली बात है क्योंकि अफगानिस्तान में भारत की अरबो खरबों डॉलर की इन्वेस्टमेंट है और तालिबान आ गया तो ये उसे शून्य बनाते हुए देर नही लगाएगा. इसी कारण से अचानक से भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस गये थे.
अभी जब जयशंकर रूस से लौटे तो पीछे पीछे एक बड़ी खबर भी आयी है. रूस के एक सीनियर अधिकारी की तरफ से बयान दिया गया है कि हम भारत के साथ में कोई भी मिलिट्री अलायन्स नही करेंगे और अगर कश्मीर की तरफ तालिबान की तरफ से कुछ होता है तो उसे रोकने में मदद भी नही करेंगे. हम अगर तुर्कमेनिस्तान में अपनी सेना इकठ्ठा कर रहे है तो इसलिए क्योंकि वो सीएसटीओ अनुबंध के तहत हमारी जिम्मेदारी है.
भारत को अब कम से कम सच्चाई को एक्सेप्ट कर लेना चाहिए कि तालिबान है और उसे आप लोग बाकी संगठनों की तरह देख सकते है. यानी रूस ने भारत से साफ शब्दों में कह दिया ‘अब आप अपनी खुद जानो, हमें बीच में मत लाना.’ भारत के लिए ये थोड़ी अच्छी खबर नही है.