भारत सरकार अपने आप में काफी स्ट्रेटजी के साथ में काम करती है और ये बात तो सब जानते है कि सरकार को सिर्फ अपने देश के अन्दर ही नही बल्कि बाहर भी काफी कुछ करना होता है और इसमें सरकार के हाथ थोड़े बंधे हुए होते है क्योंकि देश के अन्दर क्या कुछ हो रहा है या फिर चल रहा है उस पर तो सरकार का कण्ट्रोल चलता है लेकिन जहाँ पर सरकार का कण्ट्रोल नही होता है वो होती है विदेशी जमीन. भारत सरकार के भी कई अन्य देशो में भारी भरकम निवेश है जिनमे से एक अफगान भी है.
अफगान में भारत का निवेश मुसीबत में, पाक भी चल रहा अपनी चाल
भारत ने अमेरिका में कई बिलियन डॉलर का निवेश किया है जो संभवतः 25 हजार करोड़ से भी अधिक वैल्यू का है. इससे भारत ने वहां पर कई महत्त्वपूर्ण एसेट और बाँध आदि तैयार किये है जिनका स्ट्रेटजिक रूप से भारत को फायदा मिलने वाला था. मगर अभी हाल ही में अमेरिकी सेना अफगान को छोड़कर के अपने घर वापिस चली गयी है और वहां के लगभग एक तिहाई हिस्से पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है.
ये लोग कुछ ही महीनो में और भी बड़ा हिस्सा कब्जा सकते है और अफगानिस्तान इनके अंडर में आ जाएगा. अब ऐसे में ये लोग काफी पाकिस्तान के करीबी है जिससे भारत को लेकर इनके क्या एक्शन रहेंगे ये पूरी तरह से साफ़ है. अभी हाल ही में पाक में मीडिया ग्रुप इस बात को लेकर के जश्न की तरह खबरे भी छाप रहे है कि भारत का सारा पैसा अफगानिस्तान में डूब चुका है क्योंकि तालिबान अब कुछ भी छोड़ने वाला नही है.
ऐसे में भारत डिप्लोमेटिक लेवल पर अमेरिका और रूस से इस मामले में मदद की अपेक्षा कर रहा है लेकिन सवाल यही है कि क्या वाकई में इसका कुछ निदान हो पायेगा क्योंकि अमेरिका तो पहले ही यहाँ से अपनी सेना निकाल चुका है और रूस अभी आर्थिक रूप से ऐसी स्थिति में नही है कि वो अफगान में अपनी सेना ही उतार दे.