आज भारत के स्ट्रेटजिक रूप से सबसे बड़े विरोधी देशो की बात करे तो एक देश का नाम लगभग हर जगह पर आजकल देखने में आता ही है और वो देश है चीन. भारत और चीन के बीच में पिछले कुछ वर्षो में जिस स्तर पर तनाव बढ़ा है वो अपने आप में देखने लायक है और ऐसे में दोनों ही कई मायनों पर एक दुसरे के विरोधी हो गये है. दोनों की शत्रुता से वैसे तो दुनिया में किसी को कोई फर्क नही पड़ता है लेकिन एक देश है जो इसको लेकर के थोडा सा चिंतित रहता है.
रूस चाहता है चीन और भारत के बीच में मेल मिलाप, यही है डॉलर को टक्कर देने का तरीका
रूस के राष्ट्रपति पुतिन चाहते है कि भारत और चीन दोनों ही आपस में अपने मतभेदों को कम करे और आगे आकर के दोस्ती कर ले और इसके पीछे की एक ख़ास वजह है. दरअसल रूस अभी भी अमेरिका को अपना प्रतिद्वंदी मानता है और ऐसे वक्त में अकेले चीन के सपोर्ट से वो उससे टक्कर ले नही सकता है और न ही उसके डॉलर को चुनौती दे सकता है.
ऐसे में पुतिन सपना देखते है कि अगर किसी तरह से भारत और चीन के मतभेदों को समाप्त कर दिया जाए तो तीनो मिलकर के आपस में एक त्रिकोणीय शक्ति बना सकते है जो वर्ल्ड सुपर पॉवर के रूप में उभर सकती है क्योंकि तीनो ही देश काफी बड़े और इकनोमिक रूप से भी कम ताकतवर नही है. ऐसे में डॉलर और अमेरिकी शक्ति को चुनौती देने के लिए ये पुतिन का ख्वाब है और इसके लिए वो डिप्लोमेटिक लेवल पर कोशिश कर भी रहे है.
मगर इसका एक अंतिम सच ये भी है कि भारत सब कुछ छोड़कर के काफी अधिक आगे बढ़ चुका है और आज की तारीख में भारत के पास में नए दोस्त जैसे फ्रांस, इजरायल और अमेरिका आदि आ चुके है, यहाँ तक कि भारत ने तो क्वाड तक ज्वाइन कर लिया और इसी के चलते हुए आज पुतिन के चाहने से भी शायद ये चीज संभव न हो पाये.