पश्चिम बंगाल की जो राज्य सरकार है वो काफी अधिक लम्बे समय से खबरों में बनी ही रहती है और इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण अधिकतर उनका केंद्र से टकराव ही रहता है. ममता बनर्जी पर लगातार अपनी मनमानी करने के आरोप लगते रहते है और इस बार जब ममता बनर्जी को न सिर्फ कड़ी फटकार लगी है बल्कि साथ ही साथ में उनके लिए आने वाले वक्त में भी कई सबक है जो कोर्ट की तरफ से दे दिए गये है कि राज्य सरकारों की भी एक लिमिट होती है.
ममता सरकार के बनाये क़ानून को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिच, कहा आप समानांतर तंत्र नही बना सकते है
आपको पहले तो पूरी जानकारी दे देते है. ममता बनर्जी की सरकार ने एक हाउसिंग इंडस्ट्री एंड रेगुलेशन एक्ट को पास किया था जो बंगाल में रियल इस्टेट को कण्ट्रोल करता लेकिन केंद्र ने इससे ठीक एक साल पहले ही रेरा क़ानून पास कर दिया था. अब ममता बनर्जी ने न सिर्फ रेरा को बंगाल में रोका बल्कि अपने राज्य में एक हीरा क़ानून पास कर दिया. हम आपको रेरा और हीरा शोर्ट फॉर्म में बता रहे है.
अब ये मामला चला गया सुप्रीम कोर्ट ने तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे समझा और ममता सरकार के बनाये हुए इस क़ानून को न सिर्फ खारीच किया है बल्कि साथ ही साथ में उनको फटकार लगाते हुए ये भी कहा है कि अगर संसद ने किसी मुद्दे पर क़ानून बना दिया है तो फिर राज्य की विधानसभा उस पर कोई भी क़ानून नही ला सकती है, ये पूरी तरह से न सिर्फ असवैधानिक है बल्कि आपने एक समानांतर तंत्र भी बनाने की कोशिश की है, सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी पूरी तरह से गलत माना है.
उम्मीद यही की जा सकती है कि ममता बनर्जी केंद्र की सरकार और इस देश के संविधान का सम्मान करते हुए आगे इस तरह के क़ानून नही बनाएगी और देश के कानूनी स्ट्रक्चर का भी सम्मान करेगी.