विश्व भर में आज भारत बहुत ही तेजी के साथ में प्रगति कर रहा है और कितने ही लोग है कितनी ही बड़ी दुनिया है जहाँ पर हिंदुस्तान की अपनी एक बड़ी और ख़ास पहचान है इस बात में कोई भी संशय नही है. खैर जो भी है अगर हम लोग अभी की बात करते है तो अभी फ़िलहाल के दिनों में में भारत का चरित्र खराब करने के लिए एक साजिश हर तरफ से की गयी और इल्जाम लगे कि भारतीय बड़े लापरवाह होते है और उनके हाथ में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न दिए जाए तो बेहतर.
स्वेज नहर में फंसे विशाल शिप पर मौजूद सभी क्रू थे भारतीय, रास्ता ब्लॉक होने से बिलियन डॉलर का व्यापारिक नुकसान
आपको मालूम हो तो अभी कुछ दिन पहले विश्व के सबसे व्यस्ततम मार्ग स्वेज नहर में एक जहाज एवरग्रीन फंस गया था. इसके फंस जाने से अब वहाँ से कोई भी दूसरा जहाज निकल नही पा रहा था और समंदर के इस मार्ग पर एक लम्बा ट्राफिक जाम लग गया. इस मार्ग से यूरोप और एशिया से लेकर अमेरिका तक व्यापार होता है और न होने के कारण सब कुछ ठप्प हो गया था.
अब इस शिप पर मौजूद जो क्रू मेंबर और शिप का कप्तान था वो भी भारतीय ही था. कई बड़े बड़े मीडिया आउटलेट्स ने इस तरह की खबरे पब्लिश कर दी कि भारतीय क्रू मेम्बरों की लापरवाही के कारण ये सब हो रहा है, ये ठीक से जहाज हेंडल नही कर पा रहे है इसलिए स्वेज नहर ब्लॉक हुई, अब दुनिया में कई चीजो की आपूर्ति ठप्प हो गयी है.
क्या है पूरी हकीकत
असल में इस केस की पूरी सच्चाई ही कुछ और है. उस शिप पर सारे क्रू मेंबर भारतीय जरुर थे लेकिन इसको फंसाने का काम स्वेज नहर के अपने पायलट्स का है. जब कोई शिप स्वेज नहर में इंटर करती है तो उस समय उस शिप की कमान स्वेज नहर के अपने पायलट संभाल लेते है क्योंकि ये काफी संकरा रास्ता है और वहाँ से इसे निकालने के लिए एक बहुत ही अनुभवी व्यक्ति की जरूरत होती है, इसलिए नहर में जहाज कण्ट्रोल का काम स्वेज नहर अथॉरिटी के पायलट खुद करते है.
ये हकीकत होने के बावजूद भारतीयों को कोसा आज्ञा और एक तरह से गलत कंटेंट हर तरफ परोसा गया. खैर सत्य आखिर में कही न कही से तो बाहर आ ही जाता है और जब आता है तो लोगो के कान खड़े हो जाते है. फ़िलहाल के लिए अच्छी खबर ये है कि जहाज निकल चुका है और ट्राफिक जाम धीरे धीरे हट रहा है.