हल्दी प्राचीन समय से ही भारत में नमक के बाद उपयोग होने वाली सर्वाधिक वस्तु है। आयुर्वेद में भी हल्दी के औषधीय गुणों के विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। सूजन और चोट आदि विकारों पर भी हल्दी का उपयोग किया जाता है।
इतनी गुणकारी औषधि होने के बाद भी हल्दी कई लोगों के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होती है। आइए जानते है कि हल्दी किन परिस्थितियों में मनुष्य को हानि पहुँचा सकती है।
* पीलिया : पीलिया के मरीजों को हल्दी का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे मरीज की मौजूदा हालत में तेजी से गिरावट होती है।
* एनीमिया : एनीमिया यानि “खून की भारी कमी”। लाल रक्त कर्णिकाएँ (RBCs) हेमोग्लोबिन नामक पदार्थ से बनी होती हैं। यह हेमोग्लोबिन के निर्माण में आयरन का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। हल्दी खाने से खून में आयरन की मात्रा में गिरावट आ जाती है जिससे हेमोग्लोबिन और अंततः लाल रक्त कर्णिकाओं के निर्माण में दिक्कत आती हैं। एनीमिया से ग्रस्त रोगी जिसमें पहले ही खून की कमी होती है, हल्दी के सेवन से उसकी हालत और बिगड़ जाती है।
* गर्भावस्था : गर्भावस्था के दौरान हल्दी का सेवन करने से गर्भवती महिला में पहले तो रक्तस्त्राव और अधिक हालत बिगड़ने पर गर्भपात भी हो सकता है।
* मधुमेह : डायबिटीज अथवा मधुमेह के रोग से ग्रसित मरीजों को भी हल्दी का उपयोग अधिक नहीं करना चाहिए। दवाईयों के साथ हल्दी का उपयोग घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि इससे शरीर में खून की कमी हो सकती है।
* पथरी : पित्ताशय(Gall bladder) अथवा गुर्दों (kidney) में पथरी की समस्या से जूझ रहे मरीजों को भी चिकित्सकों द्वारा हल्दी कम खाने की सलाह दी जाती है।
* परिवार प्लैनिंग : जो विवाहित दंपत्ति अपने घर में नन्हीं किलकारियों का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें हल्दी का सेवन कम से कम करना चाहिए। हल्दी का सेवन शरीर में टेस्टोस्टेरोन नामक हारमोन की आंशिक कमी कर देता है। यह हारमोन पुरुषों में शुक्राणुओं के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। गर्भाधारण में कोई परेशानी न हो, इसी कारण हल्दी का उपयोग कम करना चाहिए।