गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली के लाल किले पर किसान आंदोलन के दौरान हुई घृणित घटना के बाद किसान आंदोलन की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न उठने लगे हैं। राष्ट्रीय ध्वज का जिस प्रकार अनादर हुआ, उसे लेकर पूरे देश में रोष है। जहाँ एक ओर किसान नेता इसे सरकार द्वारा किसानों को बदनाम और किसान आंदोलन को समाप्त करने की साजिश बता रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकार इसे किसान आंदोलन की आड़ में चल रही देशद्रोह गतिविधियों का पर्दाफाश करार दे रही है। देशभर में इस घटना के बाद पुलिस बल पूरी तरह सजग हो गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यूपी पुलिस को पूरी तरह कानून व्यवस्था बरकरार रखने को कहा है और सूत्रों के अनुसार आंदोलनकारियों द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन को भी समाप्त कराने को कहा है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जो कि बागपत का बताया जा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया जा रहा है और धरना दे रहे किसानों को खदेड़ा जा रहा है। इस घटना पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि ये गतिविधियाँ सरकार की किसानविरोधी विचारधारा का प्रमाण हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस जबरन आंदोलनकारियों को खदेड़कर गिरफ्तार करवाना चाहती है। लाल किले की घटना की निंदा करते हुए टिकैत बोले,” किन लोगों ने झंडा फहराया, उनके दो महीने की कॉल डिटेल्स निकाली जाए और उच्चतम न्यायालय द्वारा एक जाँच कमेटी बैठाई जाए।” अपनी बातों को बल देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कोई भी, कभी भी सहन नहीं करेगा और राष्ट्रीय ध्वज हटाकर वहाँ धार्मिक झंडा लगाने वाली घटना निंदनीय है।
वहीं विपक्ष ने भी इस घटना पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों पर लाठीचार्ज करना और भोले भाले किसानों को षड्यंत्र रचकर बदनाम करने का जो काम सरकार कर रही है इससे लोगों में किसानों के प्रति सहानुभूति बढ़ी है।
आपको बता दें कि कई किसान यूनियन और संघों ने ट्रैक्टर रैली कांड के बाद किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापिस ले लिया था और कई किसान भी अपने तंबू बाँधकर बुधवार शाम ही अपने अपने घर की ओर रवाना हो गये थे।